कितने तरह की होती है मौत? *********** -भारतीय धर्म और दर्शन में बताई गई है आठ प्रकार की मृत्यु

कितने तरह की होती है मौत?
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-भारतीय धर्म और दर्शन में बताई गई है आठ प्रकार की मृत्यु
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मौत के आठ प्रकार माने गए हैं। केवल शरीर से प्राण निकलना ही मौत की श्रेणी में नही आता है अन्य प्रकार के कारण भी मौत की श्रेणी में आते हैं। इन आठ प्रकार की मौत का विवरण इस प्रकार से है-
व्यथा दुखं भयं लज्जा रोग शोकस्तथैव च।
मरणं चापमानं च मृत्युरष्टविध: स्मृत:॥


व्यथा
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शरीर में लगातार कोई न कोई क्लेश बना रहना। किसी घर के सदस्य से अनबन हो जाना और उसके द्वारा अपमान सहते रहना। शरीर का ख्याल नही रखना और लगातार शरीर का कमजोर होते जाना। मन कही होना और कार्य कुछ करना बीच बीच में दुर्घटना हो जाना और शरीर मे कष्ट पैदा हो जाना। आंखों में कमजोरी आजाना, कानों से सुनाई नहीं देना हाथ पैर में दिक्कत आ जाना और दूसरों के भरोसे से जीवन का निकलना आदि बातें व्यथा की श्रेणी में आती है।


शत्रुओं से घिरा रहना
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बिना किसी कारण के बिना किसी बात के लोगों के द्वारा शत्रुता को पालने लग जाना। किसी भी प्रकार की बात की एवज में शरीर को कष्ट पहुंचाने वाले उपक्रम करना। घर के बाहर निकलते ही लोगों की मारक द्रिष्टि चलने लगना। पिता, पुत्र, माता अथवा किसी भी घर के सदस्य से धन पहनावा मानसिक सोच सन्तान बीमारी जीवन साथी अपमान धर्म न्याय पैतृक सम्पत्ति कार्य आमदनी यात्रा आदि के कारणों से भी घर के सदस्य अपनी अपनी राजनीति करने लगते है और किसी न किसी प्रकार का मनमुटाव पैदा हो जाता है,जरूरी नही है कि दुश्मनी बाहर के लोगों से ही हो, अपने खास लोगों से रिश्तेदारों से भी हो सकती है।


भय
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मारकेश का प्रभाव शरीर की सुन्दरता पर भी होता है धन की आवक पर भी होता है अपने को संसार में दिखाने के कारणों पर भी होता है,अपने रहन सहन और मानसिक सोच पर भी होता है सन्तान के आगे बढने पर भी होता है किये जाने वाले रोजाना के कार्यों पर भी होता है,अ'छे या बुरे जीवन साथी के प्रति भी होता है,कोई गुप्त कार्य और गुप्त धन के प्रति भी होता है धर्म और न्याय के प्रति भी होता है जो भी कार्य लगातार लाभ के लिये किये जाते है उनके प्रति भी मारकेश का प्रभाव होता है जो धन कमाकर खर्च किया जाता है उनके प्रति भी मारकेश का प्रभाव होता है और इन कारकों के प्रति भय रहना भी मारकेश की श्रेणी में आता है।


लज्जित होना
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शरीर में कोई व्यथा है और अपने से छोटे बडे किसी से भी शरीर की पूर्ति के लिये या शरीर को आगे पीछे करने के लिये सहायता मांगी जाती है और जब सहायता के बदले में खोटे वचन सुनने को मिलते है,अपमान भरी बाते सुनने को मिलती है दुत्कारा जाता है,किसी भी वस्तु की चाहत के लिये खरीदने की लालसा है और धन के लिये अपमानित होना पडता है, लिखने पढने या सन्देश देने के लिये किसी सहारे की जरूरत पडती है या कपडों के पहनने के लिये लालसा होती है उस लालसा के प्रति शक्ति नही होती है अथवा किसी ऐसे देश भाषा या जलवायु में पहुंचा जाता है जहां की भाषा और रीति रिवाज समझ में नहीं आने से ज्ञानी होने के बाद भी भाषा का अपमान होता है तो लज्जित होना पडता है, यात्रा के साधन है फिर भी मारकेश के प्रभाव से यात्रा वाले साधन बेकार हो गये है किसी से सहायता मांगने पर उपेक्षा मिलती है तो समझना चाहिये कि चौथे भाव के मालिक के साथ मारकेश का प्रभाव है,सन्तान के प्रति या सन्तान के द्वारा किसी बात पर उपेक्षा की जाती है तो भी समझना चाहिये कि पंचमेश या पंचम भाव के साथ मारकेश का प्रभाव है।


शोक
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पैदा होने के बाद पालने पोषने वाले चल बसे, विवाह के बाद सन्तान चल बसी भाई बहिन के साथ भी यही हादसा होने लगा माता का विधवा पन बहिन का विधवा होकर गलत रास्ते पर चले जाना हितू नातेदार रिश्तेदार जहां भी नजर जाती है कोई न कोई मौत जैसा समाचार मिलता है तो भी मारकेश का प्रभाव माना जाता है।


अपंगता
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शरीर के किसी अवयव का नही होना या किसी उम्र की श्रेणी में किसी अवयव का दूर हो जाना और उस अवयव के लिये कोई न कोई सहायता के लिये तरसना अथवा लोगों के द्वारा उपेक्षा सहना आदि अपंगता के लिये मारकेश को जाना जाता है।


अपमानित होना
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कहा जाता है कि गुरु को अगर शिष्य तू कह दे तो उसका अपमान हो जाता है और उस गुरु के लिये वह शब्द मौत के समान लगता है। उसी प्रकार से पुत्र अगर पिता को तू कह देता है तो भी पिता का मरण हो जाता है। माता अगर सन्तान की पालना के लिये गलत रास्ते को अपना लेती है तो भी अपमान से मरने वाली बात मानी जाती है,खूब शिक्षा के होने के बाद भी अगर शिक्षा के उपयोग का कारण नही बनता है तो भी अपमानित होना पडता है आदि बाते भी मारकेश की श्रेणी में आती है।


शरीर से प्राण निकलना
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यह भौतिक मौत कहलाती है जब शरीर की चेतना समाप्त हो जाती है और निर्जीव शरीर मृत शरीर हो जाता है। अक्सर इसे ही मौत की श्रेणी में माना जाता है।


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