BSP विधायकों के विलय पर SC की अहम टिप्पणी
New Delhi. राजस्थान (Rajasthan) में बसपा के विधायकों (BSP MLAs) के कांग्रेस (Congress) में विलय के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट (High Court) की सुनवाई पूरी होने दें। हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही सुप्रीम कोर्ट इस मामले को देखेगा। साथ ही कोर्ट ने सुनवाई को 13 अगस्त तक टाल दिया है।
भाजपा विधायक मदन दिलावर (BJP MLA Madan Dilawar) और बसपा विधायकों की ओर से दायर याचिकाओं पर जस्टिस अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि विलय के दस महीने बाद याचिका क्यों दाखिल की गयी। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कब पूरी होगी? इसके जवाब में भाजपा विधायक की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हमने हाईकोर्ट में 6 बसपा विधायकों को अयोग्य करार देने को लेकर याचिका दाखिल की थी, लेकिन वो टेक्निकल ग्राउंड पर खारिज हो गयी।
वहीं, बसपा के वकील सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) ने कोर्ट में दलील दी कि विधायकों का कांग्रेस (Congress) में विलय करना गलत है, विधानसभा अध्यक्ष को ये अधिकार नहीं है। इस पर कांग्रेस में शामिल हुए बसपा (BSP) के विधायकों के वकील राजीव धवन ने कहा कि जब उनसे अपनी पार्टी नहीं संभल रही है तो कोर्ट को संभालने को कह रहे हैं। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि पहले हाईकोर्ट अपना फैसला सुना दे, उसके बाद ही हम इस मामले को देखेंगे।
बता दें कि राजस्थान (Rajasthan) में बसपा (BSP) के छह विधायकों का 2019 में कांग्रेस (Congress) में विलय हो गया था, जिसके बाद भाजपा (BJP) के विधायक मदन दिलावर ने अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका दायर की। हालांकि, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी (Speaker CP Joshi) ने 29 जुलाई को अयोग्य ठहराए जाने की याचिका को खारिज कर दिया था।
इसके बाद भाजपा विधायक दिलावर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने 30 जुलाई को स्पीकर सीपी जोशी को नोटिस जारी किया लेकिन स्पीकर के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। वहीं, हाईकोर्ट ने बसपा से कांग्रेस में शामिल होने के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के फैसले पर रोक लगाने के लिये प्रार्थना पत्र पर 11 अगस्त को सुनवाई करके फैसला देने का एकल पीठ को निर्देश दिए हैं। इस मामले की सुनवाई 11 अगस्त को कोर्ट में की जानी हैं, मगर इसके पहले ही इन विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया।
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