एनजीओ सेवा कीजिए - नेतृत्व , जनसेवा एवं सत्ता - शासन का मेवा लीजिए : डॉ. संजय कुमार झा

एनजीओ सेवा कीजिए - नेतृत्व , जनसेवा एवं सत्ता - शासन का मेवा लीजिए :  डॉ. संजय कुमार झा



एनजीओ- नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन यानी गैर सरकारी संगठन  : 
एनजीओ किसी मिशन के तहत चलाए जाते हैं। सामाजिक समस्याओं को हल करना और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गतिविधियों को बल देना एक एनजीओ का मुख्य उद्देश्य होता है। कार्यक्षेत्र के रूप में कृषि, पर्यावरण, शिक्षा, संस्कृति, मानवाधिकार, स्वास्थ्य, महिला समस्या, बाल-विकास आदि में से कोई भी चुना जा सकता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आप नाम और दाम, दोनों कमा सकते हैं।
वह जमाना गया, जब इस क्षेत्र में आमतौर पर वे ही लोग आते थे, जो खुद के संसाधनों या सिर्फ दान वगैरह के बूते समाजसेवा करना चाहते थे। अब एनजीओ रोजगार के बढ़िया साधन बन चुके हैं। कई बार कई दूसरी नौकरियों से भी अच्छे वेतनमान पर काम यहां मिल सकता है। किसी अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले एनजीओ में बात बन जाए तो फिर बात ही क्या है। समाज सेवा का सुकून तो इसमें है ही।
इस क्षेत्र की विशिष्टता यही है कि रोजगार का साधन होने के बावजूद समाजहित की भावना इसमें सर्वोपरि होनी चाहिए। यह उन लोगों के लिए अच्छा क्षेत्र है, जो सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों, समाज हित के विभिन्न पहलुओं पर गहरी निष्ठा, लगन और रुचि के साथ काम करना चाहते हों और सिर्फ पैसा कमाना ही जिनका मकसद न हो।


■ बहुत बड़ा है एनजीओ संसार : 
एनजीओ के प्रति आकर्षण का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मौजूदा समय में हमारे देश में सक्रिय सूचीबद्घ एनजीओ की संख्या एक रिपोर्ट के मुताबिक 33लाख के आसपास है। यानी हर 365 भारतीयों पर एक एनजीओ। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा एनजीओ हैं, करीब 4.8 लाख। इसके बाद दूसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है। यहां 4.6 लाख एनजीओ हैं। उत्तर प्रदेश में 4.3 लाख, केरल में 3.3 लाख, कर्नाटक में 1.9 लाख, गुजरात व पश्चिम बंगाल में 1.7-1.7 लाख, तमिलनाडु में 1.4 लाख, उड़ीसा में 1.3 लाख तथा राजस्थान में एक लाख एनजीओ सक्रिय हैं। इसी तरह अन्य राज्यों में भी बड़ी तादाद में गैर सरकारी संगठन काम कर रहे हैं। दुनिया भर में सबसे ज्यादा सक्रिय एनजीओ हमारे ही देश में हैं।


■ अनुदान राशि / कोश :
धन की बात करें तो दान, सहयोग और विभिन्न फंडिंग एजेंसियों के जरिये एनजीओ क्षेत्र में अरबों रुपया आता है। अनुमान है कि हमारे देश में हर साल सारे एनजीओ मिल कर 40 हजार से लेकर 80 हजार करोड़ रुपये तक जुटा ही लेते हैं। सबसे ज्यादा पैसा सरकार देती है। ग्यारहवीं योजना में सामाजिक क्षेत्र के लिए 18 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। दूसरा स्थान विदेशी दानदाताओं का है। सिर्फ सन् 2005 से 2008 के दौरान ही विदेशी दानदाताओं से यहां के गैर सरकारी संगठनों को 28876 करोड़ रुपये (करीब 6 अरब डॉलर) मिले। इसके अलावा कॉरपोरेट सेक्टर से भी सामाजिक दायित्व के तहत काफी धन गैर सरकारी संगठनों को प्राप्त होता है।
■ एनजीओ क्षेत्र की संभावनाएं : 
जिन विषयों के बारे में खासतौर से एनजीओ कार्य करती है , वे हैं—सामुदायिक विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण , ग्रामीण विकास , सामाजिक - आर्थिक कार्यक्रम , पर्यावरण सुरक्षा , जैविक एवं आधुनिक खेती , शिक्षा एवं मानव संसाधन विकास , कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण , शहरी विकास एवं  गरीबी उन्मूलन , विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास , सूचना तकनीक एवं प्रौद्योगिकी विकास , मानवाधिकार ,  महिला एवं बाल अधिकार , कौशल प्रबंधन एवं रोजगार , सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता , जनजाति विकास , जल प्रबंधन , स्थानीय संसाधन विकास , महिला एवं बाल विकास ,  युवा उद्यमिता  एवं कौशल विकास , अक्षय ऊर्जा विकास एवं उपयोगिता , आयुष  चिकित्सा विज्ञान  प्रबंधन , वन एवं पर्यावरण विकास , सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विकास,  एग्रो एवं एग्रीबिजनेस , आय सृजन एवं बुद्धि कार्यक्रम , सामाजिक उद्यमशीलता, वैश्विक मुद्दों की समझ, पर्यावरण शिक्षा, सूचना प्रबंधन, प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन, नेतृत्वशीलता आदि। 
यों एनजीओ चलाने के लिए किसी खास शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है, परंतु जब कार्यकुशलता, व्यवस्थित प्रबंधन की बात आती है, खासतौर से रोजगार की संभावनाओं के संदर्भ में, तो एनजीओ प्रबंधन से जुड़े विषय वस्तु को जानना जरूरी है !


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