शोध में गुणवत्ता नियन्त्रण में म.द.स. विश्वविद्यालय राज्य में प्रथम.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अकादमिक सत्यनिष्ठा एवं साहित्यिक चोरी की रोकथाम) विनियम, जुलाई 2018 की पालना में आयोग के द्वारा यू.जी.सी. के सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र, गांधीनगर, गुजरात के सौजन्य से विभिन्न पोर्टल व सॉफ्टवेयर के माध्यम से पी.एच. डी. में बौद्धिक चोरी पर नियन्त्रण करने हेतु तकनीकी व्यवस्था की गई. जिसके क्रम में इस गज़ट नोटिफिकेशन की पालना में सभी विश्वविद्यालयों हेतु यह आवश्यक कर दिया गया कि वे अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस से सज्जित एक सॉफ्टवेयर यथा उरकुण्ड, टर्ननिटिन, इत्यादि से थीसिस की जांच किये बिना थीसिस स्वीकार नहीं करेंगे, साथ ही आरम्भ से ही पंजीकरण पत्र और सिनोप्सिस को भी यू.जी.सी.-शोध गंगोत्री पोर्टल पर अपलोड भी करेंगे. सितम्बर 2019 में यू.जी.सी. के सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र, गांधीनगर ने देश के सभी विश्वविद्यालयों हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्द उरकुण्ड सॉफ्टवेयर को उपलब्ध करवाया तथा देश भर के विश्वविद्यालयों के लाइब्रेरी इनफार्मेशन साइंस प्रोफेशनल को इसके पूर्ण कार्यक्रम में दक्ष करते हुए निरन्तर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये. इसकी पालना में म.द.स. विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर आर. पी. सिंह ने त्वरित निर्णय लेते हुए 30 नवम्बर 2019 को ही 'नोटिफिकेशन फॉर एन्टी-प्लागिअरिस्म' जारी कर दिया गया था. जिसके क्रम में सभी पी.एच.डी. सुपरवाइजर के लिए ऑनलाइन सॉफ्टवेयर उरकुण्ड प्रदान करने, थीसिस की गुणवत्ता जांच हेतु यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी सूचना विज्ञानं विषय के डॉ. अश्विनी तिवारी को एन्टी-प्लागिअरिस्म संयोजक बनाकर सम्पूर्ण तकनीकी व्यवस्था की गई. संयोजक के नेत्रित्व में शोध अनुभाग के निदेशक डॉ. संजय जैन, सूचना विज्ञानं तकनीकी स्टाफ के निरन्तर कार्यों के द्वारा अभी तक 148 पी.एच.डी. गाइड को उरकुण्ड ऑनलाइन सॉफ्टवेयर प्रदान किया जा चुका है, 55 थीसिस की इससे जांच पूर्ण की जा चुकी है. यू.जी.सी. इनफ्लिबनेट केन्द्र के द्वारा इन दिनों प्रत्येक राज्य हेतु ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिसके क्रम में 17 अगस्त को राजस्थान के सभी विश्वविद्यालयों हेतु आयोजित कार्यक्रम में प्रदर्शित सांख्यिकी के अनुसार शोध में गुणवत्ता नियन्त्रण हेतु उरकुण्ड ऑनलाइन सॉफ्टवेयर उपयोग करने में म.द.स. विश्वविद्यालय राजस्थान में प्रथम स्थान पर है. बिट्स, पिलानी चतुर्थ स्थान, गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर नवें स्थान पर है. विश्वविद्यालय के द्वारा शोध में गुणवत्ता, अकादमिक सत्यनिष्ठां के मुद्दे पर विगत 20 फ़रवरी को भी कुलपति की अध्यक्षता में स्वराज सभागार में वर्कशॉप का आयोजन किया गया था, जिसमे लगभा 300 गाइड, शोधार्थी सम्मिलित हुए थे.
विश्वविद्यालय की वेब साईट पर रिसर्च विकल्प के अधीन 'नोटिफिकेशन फॉर एन्टी-प्लागिअरिस्म' में इसका पूर्ण विवरण उपलब्ध है, साथ ही एक समर्पित ई-मेल पता mdsu_plagcheck@outlook.in की व्यवस्था से यह कार्य पूर्णतः ऑनलाइन स्वरुप में है.
कुलपति प्रो सिंह के अनुसार, यू.जी.सी. के स्तर पर राज्य में पी.एच.डी. की गुणवत्ता नियन्त्रण का प्रथम स्थान पर आने का एक प्रमुख कारण हमारे संभाग के विभिन्न महाविद्यालय के शोध सुपरवाइजर के द्वारा इस कार्य में सक्रिय सहयोग किया जाना है,.ये भी कहा कि शोधार्थी भी एक अंतर्राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर से जांच के पश्चात् थीसिस स्वीकृत होने से अधिक प्रसन्न हैं.
संयोजक डॉ अश्ववनी तिवारी ने बताया कि यू.जी.सी. शोधगंगा पोर्टल पर देश भर की 2.76 लाख थीसिस उपलब्ध हैं, जिसमें इस विश्वविद्यालय की भी थीसिस हैं, शोध गंगोत्री पर 97 सिनोप्सिस उपलब्ध हैं.
addComments
एक टिप्पणी भेजें